۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
तज़िया

हौज़ा/मंगलवार को यौमे आशूरा मनाया गया इस मौके पर अज़ादारों ने नौहा मातम के साथ आंसूओं के नज़राने पेश कर ताजियों को अपनी-अपनी कर्बलाओं में सुपुर्द ए खाक कर दिए

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मंगलवार को यौमे आशूरा मनाया गया इस मौके पर अज़ादारों ने नौहा मातम के साथ आंसूओं के नज़राने पेश कर ताजियों को अपनी-अपनी कर्बलाओं में सुपुर्द ए खाक कर दिए इसके बाद अज़ाखानों में मजलिसें शामे गरीबां आयोजित हुई। नगर के विभिन्न इलाकों में निर्धारित समय के अनुसार ताजिए उठाये गये। जिसके साथ मातमी अंजुमनों ने नौहा और मातम किया
नगर क्षेत्र के अधिकांश ताजिये सदर इमामबारगाह स्थित गंजे शहीदा में सुपुर्द ए खाक किये गये जबकि कुछ ताजिए मोहल्लों की कर्बलाओं में भी सुपुर्द ए खाक हुए


चहारसू चौराहे से उठा जुलूस शिया जामा मस्जिद होता हुआ अपने मुख्य मार्गों से गुजरकर सदर इमामबारगाह पहुंचा इसी प्रकार इमामबाड़ा शाह अबुल हसन भंडारी, बलुआघाट, कटघरा, मोहल्ला रिजवीं खां, पुरानी बाजार, ताड़तला, बारादुअरिया, यहियापुर, पानदरीबा के ताजिए भी सदर इमामबारगाह स्थित गंजे शहीदा में दफ्न हुए।


सिपाह मोहल्ले के ताजिये नबी साहब स्थित गंजे शहीदा में दफ्न किये गये इसके पूर्व बलुआघाट स्थित शाही किला मस्जिद, मोहल्ला दीवान शाह, कबीर, ताड़तला की मस्जिद समेत अन्य स्थानों पर नमाज़े आशूरा का आयोजन हुआ।
देर शाम सदर इमामबारगाह की ईदगाह मैदान में मजलिसें शामे गरीबां हुई जिसमे शायरों ने अपने अंदाज में कर्बला के शहीदों को नज़राने अक़ीदत पेश किए


मौलाना सैय्यद सज्जाद हुसैन रिज़वी ने मजलिस को खेताब करते हुए कर्बला में शामे गरीबा का ज़िक्र करते हुए बताया कि किस तरह हज़रत इमाम हुसैन को उनके 72 साथियों के साथ तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया यज़ीदी फौजो ने परिवार की महिलाओं बच्चों पर जो ज़ुल्म ढाया उसे कोई नही भुला सकता है।इमाम की शहादत के बाद उनके परिवार की महिलाओं को कैद कर लिया गया और बेपर्दा कूफे की गलियों में बेकजावा ऊंटो पर बैठाकर घुमाया गया आज हम सब उन्ही को पुरस देने यहाँ इकठ्ठा हुए है।

इसी तरह क्षेत्र में 10 मोहर्रम को सभी ताजिए उत्तरपट्टी स्थित कर्बला में सुपुर्द खाक कर दिये गये इसके पूर्व उत्तरपट्टी, बर्रेपट्टी, दक्खिनपट्टी, पूराशेरखां, मोहम्मदपुर, महिमापुर, सदरुद्दीनपुर, नौपेड़वा, कर्तिहा आदि क्षेत्रों में इमाम चौक पर रखे हुए ताजिये उठाये गये।
जिसके साथ स्थानीय अंजुमनें नौहा और मातम करती हुई मखदूम शाह स्थित रौजे ए इमाम हुसैन पर पहुंची जहां एक मजलिस आयोजित हुई जिसे मौलाना ने खेताब किया वहां से सभी ताजिए जुलूस की शक्ल में एक साथ कर्बला के लिए रवाना हुए।
शाम करीब चार बजे सभी ताजिये कर्बला पहुंचे जहां सभी अंजुमनों ने अपने अपने दस्ते के साथ नौहा और मातम किया। इसके बाद सभी अंजुमनों के मेम्बरान जंजीर, कमा और अंगारे का मातम किया और जुलजनाह को रौजे हजरत अब्बास से मिलाया गया और सभी ताजियों को कर्बला में सुपुर्द ए काक कर दिया गया।

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